Tuesday 19 September 2017

वाह वाह

करो कुछ अच्छा
की मन करे वाह वाह।
करके भूल जाओ जैसे
यज्ञ में स्वाहा।।

गांधी ने किया,बुद्ध ने किया
किया महावीर ने ।
पर उपकार वहीं छोड़ दिया
जैसे धनुष को तीर ने।।

हम मदद जब करते हैं
थोड़ी भी किसी और की ।
करने लगते हैं आकांक्षा
वाह वाह के शोर की।।

नेकी कर दरिया में डाल
कोई फ़कीर कह गया है ।
पर इसे जल्दी शेयर करो
ये मार्किट में नया है ।।

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