Friday 17 August 2018

हिंदी का देहांत

हिंदी का देहांत हो रहा,यही बताने आया हूँ ।
हिंदी भाषी भ्रमित हो रहा,राह दिखाने आया हूँ ।।

क ख ग घ नही हैं आता, ए बी सी में पंडित हैं ।
अगली पीढ़ी के बच्चे,बस वन टू थ्री तक सीमित हैं ।।
तीन दुनी छः पांच दुनी दस इन्हें रटाने आया हूँ ।
हिंदी भाषी भ्रमित हो रहा ,राह दिखाने आया हूँ ।।

मुंशी का ना पुनर्जन्म हुआ ,अटल जी भी नही रहें ।
नेता अभिनेता भी अब न हिंदी में कोई बात कहें ।।
भीतर के भारतेंदु को आवाज लगाने  आया हूं ।
हिंदी भाषी भ्रमित हो रहा ,राह दिखाने आया हूँ ।।

कन्नड़,तमिल,तेलुगु के जन इंग्लिश में पारंगत हैं ।
पर बोलें अपनी हीं भाषा जब भी मिलती संगत है ।।
हिंदी वक्ता की प्रतिभा की साख बढ़ाने आया हूँ ।
हिंदी भाषी भ्रमित हो रहा ,राह दिखाने आया हूँ ।।

भाषा, भूषा, भोजन हीं तो संस्कृति के द्योतक हैं।
इनसे तुम हो तुमसे ये हैं ,व्यक्तित्व के पूरक हैं ।।
खुल कर बोलो जग में हिंदी,शर्म मिटाने आया हूँ ।
हिंदी भाषी भ्रमित हो रहा ,राह दिखाने आया हूँ ।।

सब भाषाओं को अपने में शामिल करती है हिंदी।
उर्दू का समरूप लिए भी झिलमिल करती है हिंदी ।।
तुमसे हीं प्रारम्भ मिलेगा याद दिलाने आया हूँ।
हिंदी भाषी भ्रमित हो रहा ,राह दिखाने आया हूँ ।।






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